बज्म में अगयार(ग़ैर) की
पुरसिश(पूछ-ताछ) की रकीबों ने
जाम-ए-जहर पी ली
अंगबीं (मीठा पेय, शहद)तो नहीं पी है
निगाहों से तसकीन (तसल्ली) की
खामोश रकीबों ने
वफा की खता की थी
उल्फत की सजा दी है
दाद-ए-जफा(अन्याय की प्रशंसा) की
नसीहत दी रकीबों ने
दस्तूर जमाने का
सर-ए-रिश्ता-ए-वफा(वफ़ा के रिश्ते का अंत)ही है
बहुत खूब, शानदार।
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