बेरहम मेघ हर साल उजाड़ देते हैं आशियाना उसका। ना तो कविता में ना कथा में कहीं नहीं जिक्र इसका। आपका व्लाग पहली बार देखा और रचनाओं को देखता ही रह गया कई प्रश्नों का उत्तर मांगती है रचना , अत्यंत भावपूर्ण रचना ,बधाई
चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी प्रस्तुति मंगलवार 19 - 04 - 2011 को ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..
बेरहम मेघ
ReplyDeleteहर साल
उजाड़ देते हैं
आशियाना उसका।
ना तो कविता में
ना कथा में
कहीं नहीं
जिक्र इसका।
आपका व्लाग पहली बार देखा और रचनाओं को देखता ही रह गया कई प्रश्नों का उत्तर मांगती है रचना , अत्यंत भावपूर्ण रचना ,बधाई
उसकी छत है
ReplyDeleteटीन-टप्पर की
नहीं होता एहसास
मेघ के सौंदर्य का।
टप्पर की तरह
दिल में सुराख है
दिल को टीन टप्पर का बिम्ब दिया है ..सुन्दर रचना ...सच आज किसी के दिल में किसी केलिए जगह नहीं है ..
बेहतरीन!!
ReplyDeleteटप्पर की तरह
ReplyDeleteदिल में सुराख है
बसेरा नहीं है
प्रेम का।
काश यह सुराख़ नहीं होता और हम प्रेम की भावनाओं से ओत प्रोत रहते ...आपका आभार
चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी प्रस्तुति मंगलवार 19 - 04 - 2011
ReplyDeleteको ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..
http://charchamanch.blogspot.com/
वाह !
ReplyDeleteगहन भावों की सुन्दर रचना ...
dil ke gehen dard ke bhaavo ko sunder abhivyakti dene ki badhiya koshish.
ReplyDeleteटप्पर की तरह दिल में सुराख़ है ...
ReplyDeleteइसलिए दिल में कुछ नहीं टिकता है ...
बेहतरीन !