Friday, February 25, 2011

TV-TRP-TAM



टेलीविजन रेटिंग प्वाइंट(TRP)के खेल पर टेलीविजन ऑडिएंस मेजरमेंट (TAM) का कब्जा है। इसकी हकीकत 'खोदा पहाड़ निकली चुहिया'की कहावत से जुदा नहीं है। लेकिन पांच से दस हजार करोड़ रुपए की टीवी इंडस्ट्री का नसीब इससे ही तय होता है। दरअसल TAM एक सर्वे एजेंसी है, जो पीपल मीटर की सहायता से सैंपल कलेक्शन का काम करती है। इसके लिए चौदह राज्यों के कई शहरों में पीपल मीटर लगाए गए हैं। पीपल मीटर ज्यादातर उच्च मध्यमवर्गीय लोगों के इलाके में मौजूद हैं। जिनके सहारे महज चंद हजार लोगों की पसंद या नापसंद की जानकारी मिलती है। यानि बटोरे गए आंकड़े टेलीविजन के कुल दर्शकों की संख्या के लिहाज से एक फीसदी भी नहीं होते हैं। चैनलों की मजबूरी ये है,कि उन्हें विज्ञापन इसी टैम की रिपोर्ट के आधार पर हासिल होता है। इसलिए उन्हें TAMके खेल में शामिल होना ही पड़ता है। मौजूदा समय में टेलीविजन ऑडिएंस मेजरमेंट (TAM) के साथ ऑडिएंस मेजरमेंट एंड एनालिटिक लिमिटेड (aMap) नामक एजेंसी भी सर्वे का काम अंजाम दे रही है। हालांकि उसकी पकड़ कमजोर है, ऐसे में बाजार पर TAM का एकाधिकार है।देश में टीवी कार्यक्रमों की लोकप्रियता की जांच से संबंधित आंकड़ों का खेल दूरदर्शन ने शुरू किया था। जिसमें उसका दर्शक अनुसंधान विभाग(DART)सहयोगी था। बाद में प्राइवेट चैनलों के साथ मार्केट रिसर्च एजेंसी INTAM और TAM ने इंट्री ली। कुछ अरसा गुजरने के बाद INTAM और TAM के विलय के साथ ही मैदान में इस खेल का इकलौता खिलाड़ी TAM रह गया। अब चाहे आंकड़ों को लेकर लाख सवाल खड़े किए जाएं,लेकिन विज्ञापन का आधार होने की वजह से इसे नजरअंदाज करना चैनल चलाने वालों के लिए मुमकिन नहीं।

2 comments:

  1. जब कोई चीज़ बड़े पैमाने पर होने लगती है तो फिर उन्हें बदलना या नज़रंदाज़ कर पाना बहुत मुश्किल होता है । जानकारीपरक, उम्दा लेख के लिए बधाई।

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