Sunday, March 31, 2013

तलाश



बदल रहा दौर
बलात्कार पर
बहस जारी है
चिंतित हैं लोग
अबल बनी शिकार
मंथन जारी है।
अखबार में, दूरदर्शन पर
संस्कार और सरोकार
चिंतन जारी है
मंथन, चिंतन,बहसें
लेकिन बरकरार
नारी की दुश्वारी है।
नैतिकता की पहरेदारी
हर व्यक्ति सदाचारी
तो,
कहां रहता है?
कहां छिपा है?
कौन? ...कौन?... कौन?
बलात्कारी है।

Friday, December 2, 2011

मुनिया: वक्त के आइने में


1-अरे चुप
क्यों रोती हो
अब क्या खून पिओगी
पी लो
जी भर लो
जीभ इतनी लंबी थी
तो अमीर घर जाती
यहां क्यों टपक गई


2-नवाबजादी
बहुत हो गया
किताब छोड़ो
झाड़ू उठाओ
कलक्ट्री नहीं करनी
काम पर लग जाओ

3-बेहया
घर के अंदर आओ
पैर काबू में रखो
नहीं तो काटना होगा
बाप रे बाप
मेरे नसीब में ही रखी थी
कुलच्छिनी.............


Friday, July 8, 2011

प्रतिरोध









1.प्रतिरोध
चुप्पी का
मजबूत है
हलचल
चुप्पी की
तेज है
आंच
चुप्पी की
झुलसाती है
लेकिन
चुप रहना
मुश्किल है


2.हत्यारा
कायर होता है
वह भी
मौत से डरता है
लेकिन
प्रतिरोध का अभाव
उसे
बलवान बना देता है


3. प्रतिरोध
 व्यवस्था का
 हालात का
 तंत्र का
 बेजा नहीं
 बल्कि
 पैमाना है
  कहीं
 शासक
  सत्ता
 और जनता
 निरंकुश
 तो नहीं


 
 

Saturday, June 4, 2011

भेड़िया









भेड़िया आया, भेड़िया आया
शोर सुनाई नहीं देता
क्योंकि
भेड़िया खास नहीं रहा
आम हो गया है
पहले आता था
कभी-कभी
जंगलों से
रिहायशी इलाकों में
लेकिन
बना लिया आशियाना
कंक्रीट के जंगलों में
बदल गया है
चेहरा भेड़िए का
लेकिन
नहीं बदला है
तरीका शिकार का
जांघ पर हमला
घायल को थकाना
फिर भूख मिटाना
एक नहीं
दो नहीं
तीन नहीं
सैकड़ों भेड़िए
मौजूद हैं
इस बस्ती में
इसीलिए तो
भेड़िया आया, भेड़िया आया
शोर सुनाई नहीं देता
क्योंकि 
भेड़िया खास से
आम हो गया है

Wednesday, May 11, 2011

ये कैसा सलाम है?













ये कैसा सलाम है?
जिसकी फितरत अजब
जिसका रंग लाल है
ये कैसा सलाम है?
जिसमें नजाकत नहीं
ना ही सम्मान है
ये कैसा सलाम है?
जिसने इंसान को
बना दिया हैवान है
ये कैसा सलाम है?
जिसमें दुआ नहीं
नफरत का पैगाम है
ये कैसा सलाम है?

Wednesday, May 4, 2011

बेखौफ









एक तिनका
और जुड़ गया
उसके आशियाने में
फुर्रर.. निकल गई
नए तिनके की
तलाश में
गौरय्या
लेनिन से अनजान है
तंत्र से अपरीचित है
उसे
पूंजीवाद की  भी
जानकारी नहीं है
शायद इसीलिए
बेखौफ
लोकतांत्रिक अंदाज में
बटोरती है
तिनका-तिनका
जीती है सुराज में

Tuesday, May 3, 2011

मातमपुर्सी










                                                                                                            
अच्छे इंसान थे
दुनिया छोड़ गए
अच्छे लोग
साथ छोड़ जाते हैं
आंखों में आंसू
चेहरे पे उदासी
हर जुबान पर
ये अल्फाज है
चंद पल बाद
तमाम चेहरे
पब-डिस्को में
नजर आते हैं
मौत के मातम ने
थका दिया
ताजगी के लिए
जश्न मनाते हैं

Monday, May 2, 2011

ओसामा मारा गया

आतंक का अंत.... मारा गया ओसामा..... अमेरिका में जश्न......... खबर पर निगाह टिक गई। अमेरिका के राष्ट्रपति ओबामा पाकिस्तान में ऑपरेशन कामयाब होने की जानकारी दे रहे थे। किस तरह पाक के एबटाबाद के एक घर में छिपे ओसामा को मारा गया। ओसामा की मौत अमेरीकियों के लिए ही नहीं उन तमाम लोगों के लिए राहत भरी खबर है, जिन्हें मजहबी आतंक से घिन है। ओसामा के चेहरे पर मौजूद गोलियों के जख्म देख कर जहन में एक सवाल बरबस ही समा गया, कि आखिर कब चेतेंगे मजहब के नाम पर आतंक की खेती करने वाले। ओसामा मारा जाता है.... अल्लाह उसकी मदद के लिए आगे नहीं आते। साध्वी गिरफ्तार होती है... भगवान उसकी मदद के लिए आगे नहीं आते। .......... अति का एक बार फिर अंत हुआ, खौफ फैलाने वाला खौफनाक तरीके से मारा गया। सबक है तमाम मजहबी कट्टरपंथियों के लिए..... चाहे वो हिंदू हो, मुसलमान या ईसा की नुमाइंदगी करने वाला।

Monday, April 25, 2011

मुहिम की मंजिल



97 घंटे के अनशन ने सत्ता की बागडोर संभालने वालों को सोचने पर मजबूर कर दिया। जंतर-मंतर पर जुटे लोगों में हर तबका नजर आया। अमीर-गरीब, युवा-बुजुर्ग, बेरोजगार-उद्ममी सभी एक साथ एक मंच पर मौजूद रहे। इसे लोगों के जहन में मौजूद संसदीय व्यवस्था की विश्वसनीयता पर सवाल का नतीजा कहें, या भ्रष्ट तंत्र के मकड़जाल में फंसे आम लोगों को सता रहा वजूद खोने का डर। उन्हें अन्ना में एक ऐसे किरदार की झलक दिख रही थी, जो देशभक्त हो,और गड़बड़ियों के खिलाफ आवाज बुलंद करने का माद्दा रखता हो। इस आंदोलन ने सरकार यानि सत्ता और जनता के बीच के संबंधों को परिभाषित कर दिया। जनता के हित के लिए सरकार है, ना कि सरकार के हित के लिए जनता। जन लोकपाल बिल का मसौदा तैयार करने के लिए सरकार और सोसायटी के नुमाइंदों की कमेटी बन गई। पहले मोर्चे पर आंदोलन कामयाब रहा। लेकिन इसके साथ ही बड़ा सवाल सामने है, अब आगे क्या होगा? मसौदे पर सहमति बन जाती है, तो क्या संसद के मानसून सत्र में बिल सदन में पारित हो जाएगा?
                      भ्रष्ट तंत्र पर नकेल कसने की पहल तो कामयाबी की राह पर है, लेकिन मंजिल तक का सफर तय करना मुश्किल भरा नजर आ रहा है। गौर करने वाली बात है, कि जिस संसद में इस लोकपाल बिल को पेश किया जाएगा। वहां 145 ऐसे सांसद मौजूद हैं, जो भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे हैं। वहीं उनके साथ जुड़े दूसरे सांसद भी मौजूद हैं, जो आरोपों की काली छाया से अब तक खुद को बचाने में कामयाब रहे हैं, लेकिन असलियत में उन्हें भी भ्रष्टाचार की गंगोत्री में डुबकी लगाना पसंद है। लोकपाल बिल के पक्ष में सहमति जाहिर करना उनके लिए अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारने सरीखा होगा। ऐसे में महिला आरक्षण बिल की तर्ज संसद में हंगामा मचने के आसार बहुत ज्यादा हैं। हालांकि आंदोलन के दौरान उमड़े जनसैलाब का खौफ संसदीय व्यवस्था का इस्तेमाल जागीर बनाने के लिए करने वालों के जहन में यकीनन मौजूद होगा। उन्हें इसका डर जरूर सताएगा, कि लोकपाल विधेयक पास नहीं होने पर एक बार फिर जन आक्रोश उभर सकता है। अन्ना ने इस विधेयक को पास कराने के लिए 15 अगस्त तक का समय तय किया है।
                      लोकपाल बिल का मसौदा तैयार करने वाली कमेटी में सिविल सोसायटी की नुमाइंदगी करने वाले शांति भूषण को लेकर रोज एक नया विवाद खड़ा हो रहा है। कभी रजिस्ट्री, तो कभी सीडी और अब नोएडा के नजदीक फार्म हाउस आवंटन का मामला । बिल ड्राफ्ट कमेटी से उनके इस्तीफे की मांग भी की जाने लगी है। लेकिन बिल का मसौदा तैयार करने के लिहाज से शांतिभूषण और प्रशांत भूषण की अनदेखी नहीं की जा सकती है। वहीं इस पर भी गौर करना होगा, कि बिल ड्राफ्ट कमेटी में शामिल लोगों को किसी तरह का फायदा होना मुमकिन नहीं। इधर इलाहाबाद हाईकोर्ट में दो लोगों ने ड्राफ्ट कमेटी को चुनौती देने वाली याचिका भी दायर की है। बहरहाल अन्ना की मुहिम अंजाम तक पहुंचेगी या नहीं इसका जवाब देना मुश्किल है। लेकिन इतना तो तय है, कि अन्ना की अगुआई में देश की जनता ने सियासत की बागडोर संभालने वालों को सचेत रहने के संकेत दे दिए हैं।
         

Saturday, April 23, 2011

क्यों ?









मैं क्यों नहीं देखता
औरों की तरह
खूबसूरत ख्वाब
आंखें बंद करते ही
नजर आती हैं
खेत की दरारें
चावल चुनता
हड्डियों का ढांचा
कूड़े का ढेर
रोटियां तलाशता
फटेहाल नौजवान
मेरे सपनों में
महल नहीं दिखते
मल्टीप्लेक्स भी नहीं
नीला आसमान है
लेकिन विमान नहीं
संपन्न भारत की
तस्वीर नहीं दिखती
मैं क्यों नहीं देखता
औरों की तरह
खूबसूरत ख्वाब


Friday, April 15, 2011

जिक्र...












तय करती हैं
सफर बूंदें
बादलों से निकल
जमीन तक का ।
कवि बुनते हैं
शब्दजाल
उकेरते हैं
सौंदर्य मेघ का ।
उसकी छत है
टीन-टप्पर की
नहीं होता एहसास
मेघ के सौंदर्य का।
टप्पर की तरह
दिल में सुराख है
बसेरा नहीं है
प्रेम का।
बेरहम मेघ
हर साल
उजाड़ देते हैं
आशियाना उसका।
ना तो कविता में
ना कथा में
कहीं नहीं
जिक्र इसका।

Tuesday, April 5, 2011

एहसास








रिश्तों की डोर में ना बांधो
टूटने का डर सताएगा
है पाक एहसास
हर पल मेरे साथ
यादों में संजों कर रखूंगा
मेरा साथ निभाएगा

ख्वाबों में आओ ना पास
बिखर जाने का डर सताएगा
वो महकता एहसास
खुश्बू बन कर
संग हवा के
सांसों में घुल जाएगा

Wednesday, March 30, 2011

हर मर्ज की एक दवा.... क्रिकेट


दफ्तर के लिए निकल रहा हूं। सड़कों पर सन्नाटा पसरा है, ठीक वैसा ही जैसा हमारे शहर में होली के त्योहार के अगले दिन सन्नाटा रहता है। यूं भी तमाम चैनलों में निर्देश जारी कर दिए गए हैं.... सिर्फ क्रिकेट......क्रिकेट...और कुछ नहीं। इसके लिए एक दिन पहले से भरपूर तैयारी की जा चुकी है। इधर बंद कमरों में मोबाइल और अत्याधुनिक सॉफ्टवेयर से लैस बुकी भी जुटे हुए हैं..... बात लाखों से करोड़ों और अब अरबों के दांव तक पहुंच चुकी है। जंग थोड़ी ही देर में शुरू होगी। भारत और पाकिस्तान के बीच। ये वर्ल्ड कप का सेमीफाइनल नहीं, बल्कि अघोषित तौर पर फाइनल से भी बढ़ कर है। हो सकता है कुछ लोगों के लिए उत्साह की हद पागलपन हो.... लेकिन इसे मीडिया और क्रिकेट के दीवानों ने नाम दिया है, इंडिया का जोश और जुनून। नजर भी आ रहा है, सियासत के कुछ बादशाहों ने तो काम-काज ठप रखने का ऐलान भी कर दिया है। मध्य प्रदेश में दोपहर बाद सियासी कद तमाम काम-काज छोड़ कर मैच का लुत्फ उठाएंगे। अब उनकी कौन कहे, जब भारत के प्रधानमंत्री ही पाकिस्तान की बागडोर संभालने वाले के साथ गलबहियां डाल कर मोहाली के मैदान में मौजूद रहेंगे। है ना वाकई इंडिया का जोश और जुनून......................................................अब ये बात दीगर है, कि महंगाई और भ्रष्टाचार को लेकर इंडिया के लोगों और हुक्मरानों का जोश ठंडा पड़ जाता है, जुनून नहीं दिखता। लेकिन इस दौरान एक कमाल का आइडिया मेरे दिमाग में मंडरा रहा है। क्रिकेट की दीवानगी जब भारत पाक के हुक्मरानों को एक मंच पर ला सकती है, तो क्यों नहीं नक्सलियों के बीच क्रिकेट का प्रचार-प्रसार किया जाए। यकीन कीजिए निजात मिल सकती है, एक बड़ी समस्या से। इस खेल से जुड़ने के बाद.... कम से कम मैच वाले दिन तो नक्सली हथियार नहीं उठाएंगे। वहीं नक्सली नेता जब हुक्मरानों के साथ मैच देखने के लिए स्टेडियम पहुंचेंगे, तो अच्छे माहौल में शांतिवार्ता की शुरुआत हो सकती है। यूं भी क्रिकेट की जंग के सहारे हर फैसला किया जा सकता है.... अगर आप चाहें, आमिर खान की लगान तो याद ही है।

Tuesday, March 29, 2011

हक.....









कारखाना सेठ का है,या कामगार का है

कल-पुर्जों को इससे मतलब नहीं है

हुक्मरानों को ये सवाल चुभता है

लेकिन सवाल सदियों से तन कर खड़ा है

हर चुप्पी उसे मजबूती देती है

लोहे की उपज,सेठ का चना चबेना है

लेकिन तपिश झेलने की आदत नहीं है

रमुआ,कलुआ बदन झुलसाते रहते हैं

हादसे का अजगर उन्हें निगल जाता है

सवाल और भी पुख्ता हो जाता है

कारखाना सेठ का है,या कामगार का है

Tuesday, March 8, 2011

तुझे सलाम...

सृजन , शक्ति, सौंदर्य, लज्जा, भरोसा, इन शब्दों के साथ नारी का सहज और अटूट जुड़ाव है। हालांकि एक शब्द और भी है, जिसे उनके साथ अमूमन जोड़ा जाता है। ये शब्द है अबला.....जो उसे सहानुभूति के योग्य बना देता है। लेकिन मौजूदा दौर में नारी असहज नहीं... और ना ही बेचारगी जाहिर करती है। ऐसे में नारी को अबला ठहराना उसे मानसिक रूप से कमजोर करने की साजिश सरीखा है। नारी शक्ति को सलाम करने के मौके इंटरनेशनल वूमेन डे पर रू-ब-रू होते हैं... अपने क्षेत्र में प्रथम महिला होने का गौरव हासिल करने वाली भारतीय महिलाओं से---

भारतीय महिलाएं
प्रथम महिला राष्ट्रपति- प्रतिभा सिंह पाटिल
प्रथम महिला प्रधानमंत्री- इंदिरा गांधी
प्रथम महिला लोकसभा अध्यक्ष- मीरा कुमार
प्रथम महिला राज्यपाल- सरोजनी नायडू
प्रथम महिला मुख्यमंत्री- सुचेता कृपलानी
प्रथम महिला केंद्रीय मंत्री- अमृत कौर
प्रथम महिला विधायक- डॉ एस मुथुलक्ष्मी रेड्डी
प्रथम महिला राज्यसभा स्पीकर- सन्नोदेवी
प्रथम महिला जिसे दिल्ली का तख्त मिला- रजिया बेगम
प्रथम महिला जिसे नोबेल पुरस्कार- मदर टेरेसा
प्रथम महिला अशोक चक्र से सम्मानित- कमलेश कुमारी
प्रथम महिला लेनिन पुरस्कार विजेता- अरुणा आसिफ अली
प्रथम महिला सुप्रीम कोर्ट जज- मीरा साहिब फातिमा बीबी
प्रथम महिला हाईकोर्ट जज- लीला सेठ
प्रथम महिला एडवोकेट- डी सोराब जी
प्रथम महिला राजदूत- विजयलक्ष्मी पंडित
प्रथम महिला आईपीएस- किरण बेदी
प्रथम महिला आईएएस- अन्ना जार्ज
प्रथम महिला पायलट(वायु सेना)- हरिता कौर देयोल
प्रथम महिला पायलट(सामान्य)- प्रेमा माथुर
प्रथम महिला अंतरिक्ष यात्री- कल्पना चावला
प्रथम महिला सर्जन- डॉ प्रेमा मुखर्जी
प्रथम महिला (नौका से पूरे विश्व का चक्कर लगाने वाली)- उज्ज्वला पाटिल
प्रथम महिला स्वर्ण पदक विजेता( एशियाई खेल)- कमलजीत संधू
प्रथम महिला ओलंपिक में मेडल विजेता- कर्णम मल्लेश्वरी
प्रथम महिला विश्व एथलेटिक्स में मेडल विजेता- अंजू बॉबी जॉर्ज
प्रथम महिला जो हिमालय पर चढ़ी- बछेंद्री पाल
प्रथम महिला इंग्लिश चैनल पार करने वाली- आरती साहा
प्रथम महिला उत्तरी ध्रुव पर पहुंचने वाली- प्रीति सेनगुप्ता
प्रथम महिला अंटार्कटिका पहुंचने वाली- मेहर मूसा
प्रथम महिला भारतीय ध्वज लहराने वाली- मैडम भीकाजी कामा
प्रथम महिला एक्ट्रेस- देविका रानी
प्रथम महिला मिस अर्थ- निकोल फारिया