Tuesday, March 29, 2011

हक.....









कारखाना सेठ का है,या कामगार का है

कल-पुर्जों को इससे मतलब नहीं है

हुक्मरानों को ये सवाल चुभता है

लेकिन सवाल सदियों से तन कर खड़ा है

हर चुप्पी उसे मजबूती देती है

लोहे की उपज,सेठ का चना चबेना है

लेकिन तपिश झेलने की आदत नहीं है

रमुआ,कलुआ बदन झुलसाते रहते हैं

हादसे का अजगर उन्हें निगल जाता है

सवाल और भी पुख्ता हो जाता है

कारखाना सेठ का है,या कामगार का है

4 comments:

  1. काश की आपने जिस सवाल को उठाया है उसका कोई जबाब दे पाता। जिस दिन इसका जबाब मिल जाएगा उस दिन सुराज आ जाएगा।
    बहुत संुदर प्रस्तुति।

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  2. bahut prabhaw shali lekhan ..
    umda post

    mere blog par aapka swagat hai..
    http://dadikasanduk.blogspot.com/

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  3. कामगारों का पसीना बड़ा, या सेठ का रुपया...?

    अच्छा लिखा है शरद जी..

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  4. सटीक बात...
    लेकिन सवाल सदियों से तन कर खड़ा है

    हर चुप्पी उसे मजबूती देती है

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