Tuesday, April 5, 2011

एहसास








रिश्तों की डोर में ना बांधो
टूटने का डर सताएगा
है पाक एहसास
हर पल मेरे साथ
यादों में संजों कर रखूंगा
मेरा साथ निभाएगा

ख्वाबों में आओ ना पास
बिखर जाने का डर सताएगा
वो महकता एहसास
खुश्बू बन कर
संग हवा के
सांसों में घुल जाएगा

5 comments:

  1. रिश्ते ऐसे हों जो यादों में खुशबू देते रहें...
    the good one....

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  2. वाह... बहुत खूब!

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  3. सरजी इतने डरने की बात नहीं है, बहुत खूब। सुन्दर एहसास...

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  4. लिखा खूबसूरत है , मगर इंसान की ये मजबूरी है वो हर अच्छी लगती हुई चीज को अपना बनाना चाहता है

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  5. बहुत सुन्दर
    लाजवाब ...........

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