प्रतिरोध
1.प्रतिरोध
चुप्पी का
मजबूत है
हलचल
चुप्पी की
तेज है
आंच
चुप्पी की
झुलसाती है
लेकिन
चुप रहना
मुश्किल है
2.हत्यारा
कायर होता है
वह भी
मौत से डरता है
लेकिन
प्रतिरोध का अभाव
उसे
बलवान बना देता है
3. प्रतिरोध
व्यवस्था का
हालात का
तंत्र का
बेजा नहीं
बल्कि
पैमाना है
कहीं
शासक
सत्ता
और जनता
निरंकुश
तो नहीं
तीनों क्षणिकाएं अर्थपूर्ण हैं, बहुत बढ़िया
ReplyDeleteसुन्दर रचना, बेहतर तारतम्य.
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