मैं क्यों नहीं देखता
औरों की तरह
खूबसूरत ख्वाब
आंखें बंद करते ही
नजर आती हैं
खेत की दरारें
चावल चुनता
हड्डियों का ढांचा
कूड़े का ढेर
रोटियां तलाशता
फटेहाल नौजवान
मेरे सपनों में
महल नहीं दिखते
मल्टीप्लेक्स भी नहीं
नीला आसमान है
लेकिन विमान नहीं
संपन्न भारत की
तस्वीर नहीं दिखती
मैं क्यों नहीं देखता
औरों की तरह
खूबसूरत ख्वाब
सुंदर मनोभाव व्यक्त किए हैं आपने भई.
ReplyDelete